भोर ही डगमगत जीत मन्मथ चले ।
सकल रजनी जगे नेक नहीं पल लगे अरुण आलस वलित नयन लागत भले ।। १ ।।
कितव नागर नट चिन्ह प्रकटित करत वसन आभूषण सूरत रण दलमले ।
चतुर्भुज दास प्रभु गिरिधरन छबि बाढ़ी अधर काजर कुमकुम अंगअंग रले ।। २ ।।
कितव नागर नट चिन्ह प्रकटित करत वसन आभूषण सूरत रण दलमले ।
चतुर्भुज दास प्रभु गिरिधरन छबि बाढ़ी अधर काजर कुमकुम अंगअंग रले ।। २ ।।
No comments:
Post a Comment