रातकाल प्यारेलाल आवनी बनी...

प्रातकाल प्यारेलाल आवनी बनी ।
उर सोहे मरगजी माल डगमगी सुदेश चाल, चरण कंज मदनजीत करत गामिनी ।। १ ।।
प्रियाप्रेम अंगराग सगमगी सुरंग पाग, गलित वरुहा तुलसीचूर अलकन सनी ।
कृष्णदास प्रभु गिरिधर सूरत कंठपत्र लिख्यो करजलेखनी पुनपुन राधिका गुनी ।। २ ।।

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