सखीरी लोभी मेरे नयन

सखीरी  लोभी  मेरे  नयन |
बिन देखें चटपटी लागत देखत उपजे चेन || १  ||
मोर मुकुट काछें पीताम्बर सुन्दरता के एन |
अंगअंग छबि कही न परत है  निरख  थकित  भयोमेन || २  ||
मुरली ऐसी लागत श्रवणन चितवत खग मृग धेन |
परमानन्द प्रेमीके ठाकुर वे देखो ठाढ़े एन || ३  ||

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