कहाँजू बसे सारी रात नंदसुत |
चार पहर मोहि चार युग बीते तुम जो आये परभात || १ ||
लटपटी पाग नींदभरी अखियाँ काजर लाग्यो तेरे गात |
चोली के बंद चुभ रहे तनमें कसन भयो सब गात || २ ||
रहो रहो वृषभान नंदिनी सुन है यशोदा मात |
सूरदास प्रभु तिहारे मिलन कों रजनी कल्प सम जात || ३ ||
चार पहर मोहि चार युग बीते तुम जो आये परभात || १ ||
लटपटी पाग नींदभरी अखियाँ काजर लाग्यो तेरे गात |
चोली के बंद चुभ रहे तनमें कसन भयो सब गात || २ ||
रहो रहो वृषभान नंदिनी सुन है यशोदा मात |
सूरदास प्रभु तिहारे मिलन कों रजनी कल्प सम जात || ३ ||
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