में तो प्रीति स्याम सों कीनी |
कोऊ निंदो कोऊ वंदो अब तो यह घर दीनी || १ ||
जो पतिव्रत तो या ढोटा सों इने समर्प्यो देह |
जो व्हभिचार तो नंदनंदनसों बाढ्यो अधिक सनेह || २ ||
जो व्रत गह्यो सो औरन भायो मर्यादा को भंग |
परमानन्दलाल गिरिधर को पायो मोटो संग || ३ ||
कोऊ निंदो कोऊ वंदो अब तो यह घर दीनी || १ ||
जो पतिव्रत तो या ढोटा सों इने समर्प्यो देह |
जो व्हभिचार तो नंदनंदनसों बाढ्यो अधिक सनेह || २ ||
जो व्रत गह्यो सो औरन भायो मर्यादा को भंग |
परमानन्दलाल गिरिधर को पायो मोटो संग || ३ ||
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