प्रकटे पुष्टि महारस देन...

श्री महाप्रभुजी की वधाई

प्रकटे पुष्टि महारस देन ।
श्री वल्लभ हरि भाव अति मुख,  रूप  समर्पित  लेन ।। १ ।।
नित्य संबंध कराय भाव  दे,   विरह  अलौकिक  वेन ।
यह प्राकट्य रहत ह्रदय में, तीनलोक भेदन कों जेन ।। २ ।।
रहियें ध्यान सदा ईनके  पद,   पातक  कोऊ  लगे न ।
रसिक यह निरधार निगम गति,  साधन और नहेन ।। ३ ।।

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