ब्याह के और शेहरा के पद
दिन दूल्हे मेरो कुंवर कन्हैया |
नित्य उठ सखा शृंगार बनावे नित्य ही आरती उतारत मैया || १ ||
नित्य उठ आँगन चन्दन लिपावे नित्य ही मोतिन चौक पुरैया |
नित्य ही मंगल कलश धरावे नित्य ही बंदनवार बंधैया || २ ||
नित्य उठ ब्याह गीत मंगल ध्वनि नित्य सुरनर मुनि बेद पढैया |
नित्य नित्य आनंद होत वार निधि नित्य ही गदाधर लेत बलैया || ३ ||
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