हिन्डोरेमाई झूलन के दिन आये

हिन्डोरेमाई झूलन के दिन आये ।
गरजत गगन दामिनी कोंधत, राग मल्हार जमाये ।। १ ।।
कंचनखंभ सुढार बनाये, बीच बीच हीरा लाये ।
डांडी चार सुदेश सुहाईं, चौकी हेम जराये ।। २ ।।
नानाविधके कुसुम मनोहर, मोतिन झूमक छाये ।
मधुर मधुर ध्वनि वेणु बजावत, दादुर मोर जिवाये ।।
।।
रमकन झमकन पियप्यारीकी, किंकिणी शब्द सुहाये ।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधरनलाल संग, मानिनी मंगल गायें ।।
।।

No comments:

Post a Comment