आप कदम्ब चढ़ देखत श्याम

व्रतचर्या के पद
आप कदम्ब चढ़ देखत श्याम |
वसन  आभूषण  सब हरलीने  विना वसन जल भीतर वाम || १ ||
मुदित नयन  ध्यान  धर  हरिकों  अंतरयामी   लीनी  जान |
बारबार  सब  तासों  मांगत  हम  पावें  पति  श्याम सुजान || २ ||
जलतें निकस  आय  तट देख्यो भूषण चीर तहां कछु नाहीं |
इतउत हेर चकित भई सुंदरी सकुच गई फिर जल ही माहीं || ३ ||
नाभिपर्यंत   नीरमें   ठाढ़ी  थरथर  अंग  कम्पत  सुकुमारी |
को ले गयो बसन  आभूषण  सूरश्याम  उर  प्रीति  बिचारी  || ४ ||

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