कृष्ण नाम जबतें श्रवण सुन्यौरी आली, भूलीरी भवन हों तो बावरी भई री |
भरि भरि आवे नैन चितहू न परे चैन, तनकी दसा कछु और भई री || १ ||
जेतेक नेंम धरम किनेरी में बहु विधि, अंग अंग भई हों तो श्रवन मई री |
नंददास जाको नाम श्रवन सुनत यह गति, माधुरी मूरत केंधो कैसी दई री ||२||
भरि भरि आवे नैन चितहू न परे चैन, तनकी दसा कछु और भई री || १ ||
जेतेक नेंम धरम किनेरी में बहु विधि, अंग अंग भई हों तो श्रवन मई री |
नंददास जाको नाम श्रवन सुनत यह गति, माधुरी मूरत केंधो कैसी दई री ||२||
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