हिलगन कठिन है या मनकी

हिलगन कठिन है या मनकी |
जाके लियें सुनों मेरी  सजनी लाज  गई  सब  तनकी || १ ||
लोक   हसो   परलोक  हिजाओ  और   देओ कुलगारी |
सो क्यों  रहे  ताहि  बिन  देखें  जो   जाको  हितकारी || २ ||
रसलुब्ध निमिष नहीं छान्डत ज्यों आधीन मृग गानें |
कुमनदास   स्नेह   मरमकी   श्री गोवर्ध्धनधर  जानें || ३ || 

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