१३ - चित्त में श्री यमुना, निशिदिन जु राखो

चित्त में श्री यमुना, निशिदिन जु राखो ।
भक्त के वश कृपा करत हें सर्वदा ऐसो श्री यमुना जी को हे जु साखो ॥१॥
जा मुख ते श्री यमुने यह नाम आवे, संग कीजे अब जाय ताको ।
चतुर्भुज दास अब कहत हैं सबन सों, तातें श्री यमुने यमुने जु भाखो ॥२॥

Chitmein ShriYamuna nishdhin jo rakho 
Bhakt ke vash kripa karat hain sarvada, aiso ShriYamunaji ko hainju saakho.
Ja mukhte ShriYamune yeh naam aawhe, sadak kije ab jaye taake,
Chaturbujdas ab kahat hain sabanso, taate ShriYamune-Yamune ju chakho.

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