तुम छके छेल से डोलो ।
मन मोहन तुम रात्या मात्या जी चाहे सोई बोलो ।। १ ।।
अनत जाय तुम धूम मचावो हमरे बगर, तुम कबहु न आवो ।
रहे कहां ब्रज मोहन प्यारे, गढ़ गढ़ बतिया बोलो ।। २ ।।
जानी मोहन रीत तिहारी, कपट गांठ नहीं खोलो ।
आनंद घन होरी के ओसर को करी राखों ओलो ।। ३ ।।
मन मोहन तुम रात्या मात्या जी चाहे सोई बोलो ।। १ ।।
अनत जाय तुम धूम मचावो हमरे बगर, तुम कबहु न आवो ।
रहे कहां ब्रज मोहन प्यारे, गढ़ गढ़ बतिया बोलो ।। २ ।।
जानी मोहन रीत तिहारी, कपट गांठ नहीं खोलो ।
आनंद घन होरी के ओसर को करी राखों ओलो ।। ३ ।।
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