नदियां नदियां तीर हरि नाव चलाई रे, राधा नार गोकुलते, कान्हाने सुध पाई रे ।
एक तो ब्याकुल बाल किनारें , एक तो फिरत बन तें , उपवन देत दिखाई रे ।। 1 ।।
एक बन ढूंढ सकल बन ढूँढयो, कहां गये जादोंराई अरे ।
एक तानसेन को प्रभु, अतिहि अचगरो, तोही नंद दुहाई अरे ।। 2 ।।
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