आज मोही आगम अगम जनायो ।
सोंधों छानी अरगजा चंदन, आंगन भवन लीपायों ।। 1 ।।
आगम आवन जान प्रीतम कों , गोपीजन मंगल गायो ।
आनंद उर न समाय सखी, नव साजि सिंगार बनायो ।। 2 ।।
तन सुख पाग पिछोरा झीनो, केसर रंग रंगायो ।
मुक्ता के आभूषन गुही मनी, पहिरावत हुलसायो ।। 3 ।।
पंखा बहु सिर प्रीतम कों, नित राखुंगी छिरकायों ।
ग्रीषम ऋतू सुख देती नाईक, यह औसर चली आयों ।। 4 ।।
आवेंगे महेमान आज हरि, भाग्य बड़े दिन पायों ।
'कुंभनदास' नव नेह नई ऋतू, आगम सुजस सुनायों ।। 5 ।।
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