५ - श्याम संग श्याम, बह रही श्री यमुने

श्याम संग श्याम, बह रही श्री यमुने ।
सुरत श्रम बिंदु तें, सिंधु सी बहि चली, मानो आतुर अलि रही न भवने ॥१॥
कोटि कामहि वारों, रूप नैनन निहारो, लाल गिरिधरन संग करत रमने ।
हरखि गोविन्द प्रभु, निरखि इनकी ओर मानों नव दुलहनीं आइ गवने ॥२॥

Shyamsang Shyam bahe Shri Yamune 
Surat shram bindute sindusi bahachali, mano aatur ali rahi na bavne.
Koti kaamhi varo, rup nein niharo, Lal Giridharan sang karat ramne,
Harki Govind Prabhu nirkhi inki aur, mano navdhulhanni  aayi gavne

No comments:

Post a Comment