ग्वालिनी आपतन देख मेरे

राजभोग उराहने के पद


ग्वालिनी आपतन देख मेरे, लाल तन देखरी, भीत ज्यों होय तो चित्र अब रेखरी || ध्रु  || 
मेरो    ललन   है    पांच    ही    बरसको,     रोय कें     अजहूँ     पयपान     माँगे |
तू  तो     अति    ढीठ,   जोवनमत्त   ग्वालिनी,  फिरत  इतरात,  गोपाल  आगें || १  ||
मेरे   ललन की,     तनक  सी   अंगुरी,     ये   बड़े   नखन  के,       चिन्ह      तेरें |
मष्ट   कर   हसेंगे,   लोग   अगवार को,   यह   भुजा  कहाँ   पाई,   स्याम    मेरे || २  ||
झुक वगईल ग्वालिनी, यनन हँसी नागरी, उराहने के  मिस,  अधिक  प्रीत  बाढी |
एक   सुन    सूर,   सर्वस्व     हरयो   सांवरे,   अनउत्तर   महरिके   द्वार   ठाढ़ी || ३  ||

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