लेहु ललन कछु करहु कलेऊ, अपुने हाथ जीमाउंगी ।
सीतल माखन मेलश्री कर, कर कोर खवाउंगी ।। १ ।।
ओट्यो दुध सद्य धोरीको, सीयरो कर कर प्याउंगी ।
तातो जान जो न सुत पीवत, पंखा पवन ढुराउंगी ।। २ ।।
अमित सुगंध सुवास सकल अंग, करि उबटनो गुन गाउंगी ।
उष्ण सीतल हु न्हवाय खोर जल, चंदन अंग लगाउंगी ।। ३ ।।
त्रिविध ताप नस जात देखि छबि, निरखत हीयो सीराउंगी ।
परमानंद सीतल करि अखियाँ, बानिक पर बल जाउंगी ।। ४ ।।
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