नख कहाँ लागे वन, वानरा लगाये नख

शृंगार औट-सन्मुख के पद


नख कहाँ लागे वन, वानरा  लगाये  नख,   चखक्यों  राते  प्रात,  देख्यो  ताते  भान को |
चन्दन लग्यो है कहाँ, विघ्न हरण पूजा कीनी, वंदन लग्यो है कहाँ, परस भयो थान को || १  ||
रैन  रहे  कहाँ,  नट  नृत्यत   जहाँ,   अरवरे   क्यों   बोलो  मोसों,   डर   भयो   आन को |
गुजरी  सो  गुजरी  अब,  आगें   आय  ठाडे सूर, थेगरी कहाँ लों देत, फाटे आसमान को || २  ||

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