श्री यमुने सुखकारनी प्राण प्रतिके ।
जिन्हे भूलि जात पिय सुधि करि देत, कहाँ लों कहिये इनके जु हित के ॥१॥
पिय संग गान करे उमंगी जो रस भरे, देत तारी कर लेत झटके ।
दास परमानन्द पाये अब ब्रजचन्द अहि जानत सब प्रेम गति के ॥२॥
जिन्हे भूलि जात पिय सुधि करि देत, कहाँ लों कहिये इनके जु हित के ॥१॥
पिय संग गान करे उमंगी जो रस भरे, देत तारी कर लेत झटके ।
दास परमानन्द पाये अब ब्रजचन्द अहि जानत सब प्रेम गति के ॥२॥
ShriYamune shukhkarni Pranpati
ke.
Jine bulijaat piye tine sudi kardhet, kahalo kahiye inke ju hit ke.
Piyasang gaan kare umaangi jo ras bare, dhet taari kar let jhatke.
Das Paramanand paye aab brujchand, yehi janat sab premgati ke.
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