ठाडो सुंदर सांवरो ढोटा, कहियत नन्द किशोर री |
थकित भई उनको मुख निरखत, चाहि रही सुख और री || १ ||
भूली डगर बगर की सब सुधि, चितें लियो चित चोर री |
हों जमुना जल भरन जात हिं आये गागर फ़ोर री || २ ||
लोक बेद की कानि तजि सब जों गुडिया बस डोर री |
जाय मिलौं परमानंद प्रभुसों, तोरुं ये लाज की खोर री || ३ ||
थकित भई उनको मुख निरखत, चाहि रही सुख और री || १ ||
भूली डगर बगर की सब सुधि, चितें लियो चित चोर री |
हों जमुना जल भरन जात हिं आये गागर फ़ोर री || २ ||
लोक बेद की कानि तजि सब जों गुडिया बस डोर री |
जाय मिलौं परमानंद प्रभुसों, तोरुं ये लाज की खोर री || ३ ||
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