ससकि ससकि रही अपने भवन मैं

ससकि ससकि रही अपने भवन मैं चार जाम कौं कियो बिहार |
कब आवे मेरे घर   प्रीतम   बिधना   सौं   रही   अचरा   पसार || १  ||
अब   आई    बसंत     ऋतु     सजनी    मदन     राई    दरबार |
नंददास  प्रभु  रस  बस  कर  लीनो जाडो चल्यौं दौऊ कर झार || २  ||

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