चैत्र मास संवत्सर परवा वरस प्रवेश भयो हे आज ।
कुंज महेल बैठे पिय प्यारी लाल नये हेरे नौतन साज ।। १ ।।
आपु ही कुसुम हार गुहलीने क्रीडा करत लाल मन भावत ।
बीरी देत दास परमानंद हरखि निरखि जस गावत ।। २ ।।
कुंज महेल बैठे पिय प्यारी लाल नये हेरे नौतन साज ।। १ ।।
आपु ही कुसुम हार गुहलीने क्रीडा करत लाल मन भावत ।
बीरी देत दास परमानंद हरखि निरखि जस गावत ।। २ ।।
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