चंदन अरगजा ले आई...

चंदन  अरगजा  ले  आई, बाल  लाल के  अंग  लगावन ।
सुगंध गुलाब जल ता मध्य कपूर डारि, अंजुली भर भर लेपत गात, लागत पवन चढावन  ।। 1 ।।
नाना  बहु  भांतन के कुसुमन सों शैया  रची  मची   सुवास   बसी,  प्रीतम    मन  भावन  ।
मुरारीदास    प्रभु   ग्रीष्म    ऋतु    दाह    तपत,  तैसेई   लागि    सारंग    राग    गावन  ।। 2 ।।

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