लालन तो हो झूलो जो तुम,
हौले हौले झूलावो।
डरपत हो घनश्याम मनोहर,
अपने कंठ लगायो॥१॥
हो उतरो तुम, झूलो मेरे मोहन,
जैसे जैसे गाँउ, तैसे तैसे गाओ।
रसिकप्रीतम पिय यह बिनती,
तनकी तपत बुजाओ॥२॥
हौले हौले झूलावो।
डरपत हो घनश्याम मनोहर,
अपने कंठ लगायो॥१॥
हो उतरो तुम, झूलो मेरे मोहन,
जैसे जैसे गाँउ, तैसे तैसे गाओ।
रसिकप्रीतम पिय यह बिनती,
तनकी तपत बुजाओ॥२॥
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