ग्वालिनी आपने चीर लेहो

व्रतचर्या के पद

ग्वालिनी आपने चीर लेहो |
जलते निकस निहार नेक व्है दोउ कर जोर आसीस लेहो || १ ||
कितहूँ सीत सहत ब्रज सुंदरी  होत  असित कृशगात सबे |
मेरे    कहें   पहेरो   पट   अंगन   व्रत   विधि   हिन   अबे || २ ||
हौं   अंतरयामी  जानत  चितकी   कितदुरावत    लाजकें |
कर हों पूरणकाम कृपा   कर  शरद   समें   शशि   रातकें || ३ ||
संतत   सूर  स्वभाव   हमारो   कित  डरपत हो काममये |
कैसी   भांति   भजे  कोऊ  मोकूं  तेहूँ  सब   संसार   जये || ४ ||

No comments:

Post a Comment