भज सखी हरि गोवर्धन रानो


भज सखी हरि गोवर्धन रानो ।
तुलसी वल्लभ कमला वल्लभ, राधा वल्लभ बानो ।। 1 ।।
जाके तेज प्रताप रूप बल, नहीं उपमा को आनो ।
प्रतिदिन तरुण लावण्य सागर में, लजि बूडत शशि भानो ।। 2 ।।
गोपीनाथ सुयश रसलंपट, मधुप करत गुणगानो ।
ताकी ओट रटत कृष्णदास, सखी चातक अंबुद मानो ।। 3 ।।

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