आजू री,  नंदलला   निकस्यो,  तुलसी-बनतैं    बनकैं  मुसकातो ।
देखे बनै न बनै कहते अब, सो सुख जो मुख में न समातो ।। १ ।।
हौं रसखानि, बिलोकिबेकों कुलकानि को काज कियो हिय हातो ।
आय गई अलबेली अचानक, ए भटु लाज कौ काज कहा तो ?।। २ ।।
देखे बनै न बनै कहते अब, सो सुख जो मुख में न समातो ।। १ ।।
हौं रसखानि, बिलोकिबेकों कुलकानि को काज कियो हिय हातो ।
आय गई अलबेली अचानक, ए भटु लाज कौ काज कहा तो ?।। २ ।।
 
 
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