कब देखो मेरी और, नागर नन्दकिशोर, बीनती करत भयो भोर।
हम चितवत तुम चितवत नाही, मेरे कर्म कठोर॥१॥
जनम जनम की दासी तिहारी, तापर इतनो जोर।
सूरदासप्रभु तुम्हारे रोम पर, वारो कंचन खोर॥२॥
हम चितवत तुम चितवत नाही, मेरे कर्म कठोर॥१॥
जनम जनम की दासी तिहारी, तापर इतनो जोर।
सूरदासप्रभु तुम्हारे रोम पर, वारो कंचन खोर॥२॥
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