वर्षा की अगवानी , आये माई वर्षा की अगवानी।
दादुर मोर पपैया बोले, कुंजन बग्पांत उडानी ॥१॥
घनकी गरज सुन, सुधी ना रही कछु,
बदरन देख डरानी ।
कुम्भनदास प्रभु गोवर्धनधर,
लाल भये सुखदानी ॥२॥
दादुर मोर पपैया बोले, कुंजन बग्पांत उडानी ॥१॥
घनकी गरज सुन, सुधी ना रही कछु,
बदरन देख डरानी ।
कुम्भनदास प्रभु गोवर्धनधर,
लाल भये सुखदानी ॥२॥
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