जे जन गंगा गंगा रटे |

जे  जन  गंगा  गंगा  रटे |
पातक  कोटिक  जनम  जनम के,  ततक्षन  मांझ  कटे  || १ ||
मंजन   किये   होत  तन   निरमल,  आवागमन   मिटे  |
'परमानंद'  जल  पान  किये  तें, बसे  श्री  जमुना  तटे  || २ ||

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