Pages
अष्टछाप
Pushtimargiya Terminology
Baithakji Charitra
जे जन गंगा गंगा रटे |
जे जन गंगा गंगा रटे |
पातक कोटिक जनम जनम के, ततक्षन मांझ कटे || १ ||
मंजन किये होत तन निरमल, आवागमन मिटे |
'परमानंद' जल पान किये तें, बसे श्री जमुना तटे || २ ||
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment