कांवर द्वय भरकें छाक, पठाई नंदरानी, आप मोहि मिले मारगमें, मधुबन के कूल |
सुबल तोक तरुण वेष, आवत कछु भोजन लिये, चंचल गति चलत दोउ, दरसन के फूल || १ ||
कनक थार पीरे जगमगात, बेलन की भातकांति, भरे हैं नंदरानी, आप दोउ समतूल |
पचरंग पाट की डोरी, चोसर चहुं ओर खचित, पवन गवन बिकस जात, रेसम के झूल || २ ||
छोटी छोटी द्वय गांठ, तामें पठवन सब व्रजजन की, आसपास लटक रहे, फोंदा मखतूल |
सकल पाक परमानंद, आरोगत परमानंद, परमानंद जानत सब, बातन को मूल || ३ ||
No comments:
Post a Comment