चन्दन को वागो बन्यो, चन्दन की खोर कियें, चन्दन के रुखतर, ठाडे पिय प्यारी |
चन्दन की पाग शिर, चन्दन को फेंटा बन्यो, चन्दन की चोली तन, चन्दन की सारी || १ ||
चन्दन की आरसी, निहारत हैं दोउ जन, हंस हंस जात, भरत अंकवारी |
सूरदास मदनमोहन, चन्दन के महल बैठे, गावत सारंग राग, राग रह्यो भारी || २ ||
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