अतर   गुलाब   नीर,   परदा लपटें   उसीर,   त्रिविध   समीर की,   झकोर   हैऔं   करें  ।
छूटति फुहारे, हौद भरे अति भारे सारे, नाना विधि चादरन की, धार बहवौ करैं ।। 1 ।।
रंग जमें राग गुन, रहत सारंग की धुनि, ग्रीषम निवास गुनी, गान कहवौ करैं ।
ऐसें निज मंदिर में, बिराजे बालकृष्ण प्रभु, 'व्रजाधिस' आठों पहर, दरसन देवौ करें ।। 2 ।।
छूटति फुहारे, हौद भरे अति भारे सारे, नाना विधि चादरन की, धार बहवौ करैं ।। 1 ।।
रंग जमें राग गुन, रहत सारंग की धुनि, ग्रीषम निवास गुनी, गान कहवौ करैं ।
ऐसें निज मंदिर में, बिराजे बालकृष्ण प्रभु, 'व्रजाधिस' आठों पहर, दरसन देवौ करें ।। 2 ।।
 
 
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