ठाडे कुंज द्वार, पीय प्यारी,

ठाडे कुंज द्वार,  पीय प्यारी, करत परस्पर,  ह्सहस बतियां ।

रंगीली तीज गनगोर, भोर सज आंई, घरघर तें, सब सखियां ॥ १ ॥

करत आरती अति रसमाती, गावत गीत, निरख मुख अखियां ।

कृष्णदास प्रभु चतुर  नागरी,   कहा बरनों नांहीं,  मेरी गतियां ॥ २ ॥

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