सुंदर मुख पर वारो टोंना ।
बेनी बारन की मृदु वेना ॥ १ ॥
खंजननयनन अंजन सोहे, भ्रोंहन लोयन लोना ।
तिरछी चितवन यों छबि लागे, कंजपलन अलिछोना ॥ २ ॥
जो छबि है वृषभानसुतामें, सो छबि नाहिन सोना ।
नंददास अविचल यह जोरी, राधास्याम सलोना ॥ ३ ॥
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