वृंदावन खेल रच्यो भारी

वृंदावन खेल रच्यो भारी वृंदावन ।
वृंदावन की गोरी नारी टूटी हार फटे सारी ॥
ब्रज की होरी ब्रज की गारी ब्रज की श्री राधा प्यारी ॥
पुरुषोत्तम प्रभु होरी खेले तन मन धन सरबस वारी ॥

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