आज मदन महोत्सव राधा

आज मदन महोत्सव राधा |
मदन  गोपाल  बसंत  खेलत है   नागर  रूप   अगाधा || १  ||
निधि  बुधवार  पंचमी  मंगल  ऋतु  कुसुमाकर   आई |
जगत बिमोहन मकर ध्वज की जहाँ तहां फिरि दुहाई || २  ||
मन्मथ राज  सिंघासन  बैठे   तिलक  पिता  महदीनों |
छत्र चँवर  तूणीर  संखधुनी बिकट  चाप  कर   लीनों  || ३  ||
चलो सखी  तहां देखन  जैये    हरि  उपजावत    प्रीति |
परमानंददास  को  ठाकुर  जानत    है    सब     रीति || ४  || 

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