लहेंकन लागी बसंत बहार सखी, त्यौं -त्यौं बनवारी लाग्यो बहेकन |
फूल पलास नख नाहर केसें तेसें, कानन लाग्यौं महेकन || १ ||
कोकिल मोर सुक सारस हंस खंजन,मीन भ्रमर अँखियाँ देखि,अति ललकन |
नंददास प्रभु प्यारी अगबानी, गिरिधर पिय कौं देखती भयौ श्रमकन || २ ||
फूल पलास नख नाहर केसें तेसें, कानन लाग्यौं महेकन || १ ||
कोकिल मोर सुक सारस हंस खंजन,मीन भ्रमर अँखियाँ देखि,अति ललकन |
नंददास प्रभु प्यारी अगबानी, गिरिधर पिय कौं देखती भयौ श्रमकन || २ ||
No comments:
Post a Comment