देखो माई सुन्दरता को रास

देखो माई सुन्दरता को रास ।
अति प्रवीण वृषभान  नंदिनी,   निरख  बंधे   दृगपास  ।। 1 ।।
अंग अंग प्रति  अमित माधुरी,   भृकुटी मदन विलास  ।
जबतें दृष्टि परी  सुन्दर  मुख,   वश  कीने  अनायास  ।। 2 ।।
प्रथम समागम कों सुन सजनी, उपजत है अति त्रास  ।
अब तो मन वच क्रम सब दीनों,  यह सुन  सूरजदास  ।। 3 ।।

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